बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
सामाजिक चिन्तन में अनुसन्धान पद्धति - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
शोध प्ररचना प्रकार एवं महत्व
(Research Design : Types and Importance)
प्रश्न- अनुसन्धान प्ररचना को परिभाषित करते हुये इनके प्रकारों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
उत्तर -
अनुसन्धान प्ररचना का अर्थ एवं परिभाषा - अनुसन्धान प्ररचना शब्द को समझने के लिये पहले 'अनुसन्धान' तथा 'प्ररचना' शब्दों का अर्थ समझ लेना जरूरी है। सैल्टिज, जहोदा तथा अन्य के अनुसार सामाजिक अनुसन्धान का अर्थ सामाजिक घटनाओं तथा तथ्यों के बारे में नवीन जानकारी प्राप्त करना है अथवा पूर्व अर्जित ज्ञान में संशोधन, सत्यापन एवं संवर्द्धन करना है। एकोफ (Ackoff) ने प्ररचना शब्द की व्याख्या उपमा द्वारा की है। एक भवननिर्माणकर्ता भवन की प्ररचना पहले से ही बना लेता है कि यह कितना बड़ा होगा, इसमें कितने कमरे होंगे, कौन-सी सामग्री का प्रयोग इसमें किया जायेगा आदि। ये सब निर्णय वह भवन निर्माण से पहले ही ले लेता है ताकि भवन के बारे में एक नक्शा बना ले तथा यदि इसमें किसी प्रकार का संशोधन करना है तो निर्माण शुरू होने से पहले ही किया जा सके। प्ररचना का अर्थ योजना बनाना है अर्थात् प्ररचना पूर्व निर्णय लेने की प्रक्रिया है ताकि परिस्थिति पैदा होने पर इसका प्रयोग किया जा सके। यह सूझ-बूझ एवं पूर्वानुमान की प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य अपेक्षित परस्थिति पर नियंत्रण रखना है। इस प्रकार यह कहा जा सकता कि अनुसन्धान की समस्या तथा उसमें प्रयुक्त होने वाली प्रविधियों पर नियंत्रण करने के लिये पूर्व निर्धारित निर्णयों की रूपरेखा ही अनुसन्धान प्ररचना है।
सैल्टिज, जहोदा तथा अन्य के अनुसार, जब अनुसन्धानकर्ता ने समस्या का निर्माण कर लिया है तथा यह निर्धारण कर लिया है कौन-सी सामग्री उसे एकत्रित करनी है तो उसे अनुसन्धान प्ररचना बनानी चाहिये। इनके अनुसार अनुसन्धान प्ररचना आँकड़ों के संकलन तथा विश्लेषण की दशाओं की उस व्यवस्था को कहते हैं जिसका लक्ष्य अनुसन्धान के उद्देश्य की प्रासंगिकता तथा कार्याविधि की मितव्ययिता का समन्वय करना है। विभिन्न विद्वानों ने समझाने का प्रयत्न किया है कि अनुसन्धान प्ररचना पूर्व निर्णय की एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मितव्ययिता के आधार पर समस्या से सम्बंधित आँकड़े एकत्रित करना और आने वाली परिस्थितियों को नियंत्रित करना है। साथ ही अनुसन्धान के लक्ष्य के आधार पर भिन्न प्रकार की प्ररचनायें बनायी जा सकती हैं। अतः अनुसन्धान प्ररचना इनसे सबंधित सर्वाधिक उपयुक्त एवं सुविधाजनक योजना है जिसका उद्देश्य अनुसन्धानकर्ता को दिशा प्रदान करना तथा मानव श्रम की बचत करनाहै। अतः अनुसन्धान प्ररचना शोध को एक पूर्ण रूप प्रदान करती है।
अनुसन्धान प्ररचना के प्रकार (Types of Research Design) - विभिन्न विद्वानों ने अनुसन्धान प्ररचना को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया है-
(1) अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक अनुसन्धान प्ररचना - जब किसी अनुसन्धान कार्य का उद्देश्य किन्हीं सामाजिक घटनाओं में अन्तर्निहित कारणों को ढूँढ़ निकालना होता है तो उससे संबधित रूपरेखा को अन्वेषणात्मक अनुसन्धान प्ररचना कहते हैं। इस प्रकार के अनुसन्धान प्ररचना में शोध कार्य की रूपरेखा इस तरीके से प्रस्तुत की जाती है कि घटना की प्रकृति व धारा प्रवाहों की वास्तविकताओं की खोज की जा सके। विषय अथवा समस्या के चुनाव के पश्चात् प्राकल्पना का सफलतापूर्वक निर्माण करने के लिये इस प्रकार के प्ररचना का अत्यधिक महत्व है क्योंकि इसकी सहायता से हमारे लिये विषय का कार्य-कारण संबधं स्पष्ट हो जाता है उदाहरण के लिये यदि हमें किसी विशेष सामाजिक परिस्थति में विवाह विच्छेद प्राप्त व्यक्तियों में व्याप्त यौन व्यभिचार के विषय में अध्ययन करना है तो उसके लिये सर्वप्रथम उन कारकों का ज्ञान आवश्यक है जो कि उस प्रकार के व्यभिचार को पैदा करते हैं। अन्वेषणात्मक अनुसन्धान प्ररचना इन्हीं कारणों को खोज निकालने की एक योजना बन सकती है। इसी तरह से कभी-कभी समस्या के चुनाव तथा अनुसन्धान कार्य के लिये उसकी उपयुक्तता के संबंध में हमें अन्य किसी स्रोत से ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता है, तब उस अवस्था में हमें अनुसन्धान अभिकल्प की सहायता से बहुत सहयोग मिल सकता है।
(2) वर्णनात्मक अनुसन्धान प्ररचना (अभिकल्प) - विषय या समस्या के संबंध में सम्पूर्ण वास्तविक तथ्यों के आधार पर उनका विस्तृत वर्णन करना ही वर्णनात्मक अनुसन्धान अभिकल्प का प्रमुख उद्देश्य है। इस पद्धति में आवश्यक है कि हमें वास्तविक तथ्य प्राप्त हो तभी हम उसकी वैज्ञानिक विवेचना करने में सफल हो सकते हैं। यदि समाज की की किसी समस्या का विवरण देना है, तो उसकी आयु सदस्यों की संख्या, शिक्षा का स्तर, व्यवासायिक ढाँचा, जातीय और पारिवारिक संरचना आदि से संबंधित तथ्य, जब तक प्राप्त नहीं होते तब तक हम उसके वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत नहीं कर सकते। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी अनुसन्धान प्ररचना विषय के उद्देश्य के अनुसार बनायें।
(3) परीक्षणात्मक अनुसन्धान अभिकल्प (प्ररचना) - भौतिक विज्ञानों की तरह समाजशास्त्र भी अपने अनुसन्धान कार्यों में परीक्षण प्रणाली का उपयोग कर अधिकाधिक यथार्थता लाने का प्रयत्न कर रहा है। भौतिक विज्ञानों में जिस तरह कुछ नियंत्रित अवस्थाओं में रखकर निरीक्षण परीक्षण के द्वारा सामाजिक घटनाओं का व्यवस्थित अध्ययन करने की रूपरेखा को परीक्षणात्मक अनुसन्धान प्ररचना कहते हैं।
4. निदानात्मक अनुसन्धान प्ररचना - अनुसन्धान कार्य का मूलभूत उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति एवं ज्ञान की वृद्धि करना है। किन्तु यह भी संभव है कि अनुसन्धान कार्य का उद्देश्य किसी समस्या के कारणों के संबंध में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करके उस समस्या के समाधानों को भी प्रस्तुत करना हो। इस प्रकार के अनुसन्धान प्ररचना को निदानात्मक अनुसन्धान प्ररचना कहते हैं। दूसरे शब्दों में विशिष्ट सामाजिक समस्या के निदान की खोज करने वाले अनुसन्धान कार्य को, निदानात्मक अनुसन्धान कहतें हैं।
|
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसकी विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की विशेषताएँ एवं प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान के मुख्य उद्देश्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान का महत्व एवं समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की समस्याएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की प्रकृति एवं अध्ययन क्षेत्र पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "बिना सामाजिक अनुसन्धान के समाज के विभिन्न पक्षों का तथा पृथक्-पृथक् दृष्टिकोणों से अध्ययन करना काफी कठिन कार्य होगा। अतः सामाजिक अनुसन्धान की आवश्यकता पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक शोध में सामाजिक सर्वेक्षण के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक अध्ययन की प्रमुख कठिनाइयाँ क्या हैं?
- प्रश्न- अनुसन्धान समस्या के प्रतिपादन में परिकल्पना का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वैज्ञानिक अध्ययन पद्धति के प्रमुख सोपान कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुसन्धान प्ररचना को परिभाषित करते हुये इनके प्रकारों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्रायोगिक अनुसन्धान प्ररचनाओं के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसन्धान प्ररचना के उद्देश्यों की संक्षिप्त व्याख्या प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- अनुसन्धान प्ररचना की विशेषताओं को बताते हुये, सामाजिक अनुसन्धान में अनुसन्धान प्ररचना के महत्व की विस्तृत विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- एक अच्छी अनुसन्धान प्ररचना की विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- अन्वेषणात्मक एवं वर्णनात्मक अनुसन्धान प्ररचनाओं में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- परिकल्पना या प्राक्कल्पना किसे कहते हैं? इसके प्रकार एवं स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- परिकल्पना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- परिकल्पना के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "परिकल्पना अनुसन्धान और सिद्धान्त के मध्य एक आवश्यक कड़ी है जो ज्ञान वृद्धि की खोज में सहायक होती है, इसके निर्माण के अभाव में किसी भी प्रकार का प्रयोग एवं वैज्ञानिक अनुसन्धान असम्भव है।" - गुडे एवं हॉट के उक्त कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उपयोगी उपकल्पना की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छी परिकल्पना के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- अनुसन्धान समस्या का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने परिकल्पना के किन कार्यों का उल्लेख किया है?
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठता से आप क्या समझते हैं? वस्तुनिष्ठता से सम्बन्धित समस्याओं को बताइये। इस सम्बन्ध में बेवर के क्या विचार हैं?
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठता से सम्बन्धित समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठता की समस्या के बारे में बेवर के विचार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान में वैषयिकता (वस्तुनिष्ठता) प्राप्त करने में कौन-सी व्यावहारिक कठिनाइयाँ हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विज्ञानों में वस्तुनिष्ठता एवं व्यक्तिनिष्ठता को समझाइये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान में वस्तुनिष्ठता की आवश्यकता तथा इसे बनाए रखने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- मूल्य तटस्थता को परिभाषित करते हुये मूल्य तटस्थता से संबंधित समस्याओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- क्या समस्या के चुनाव के बाद मूल्य-तटस्थ अध्ययन संभव है। इस पर संक्षिप्त व्याख्या प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान में मूल्य-तटस्थता की आवश्यकता तथा इसे बनाये रखने के उपायों की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान में नैतिक मुद्दे क्या महत्व रखते हैं? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- साहित्यिक चोरी और कॉपीराइट उल्लंघन के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- साहित्यक चोरी को परिभाषित करते हुये साहित्यिक चोरी के रूपों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अनुसन्धान के प्रमुख प्रकारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध की अनिवार्य दशाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध के प्रमुख कार्यों को बताइए।
- प्रश्न- वर्णनात्मक शोध प्रारूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वर्णनात्मक शोध में किन-किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है?
- प्रश्न- वर्णनात्मक शोध की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वर्णनात्मक शोध कार्य के सफलतापूर्वक संचालन के लिए किन चरणों से गुजरना आवश्यक होता है?
- प्रश्न- प्रयोगात्मक (परीक्षणात्मक) शोध प्रारूप से क्या आशय है?
- प्रश्न- परीक्षणात्मक शोध कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- व्यावहारिक शोध का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- विशुद्ध शोध किसे कहते हैं?
- प्रश्न- क्रियात्मक शोध को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- मूल्याँकन शोध का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- अनुसन्धान अभिकल्प क्या है?
- प्रश्न- "विशुद्ध शोध किसी समस्या का हल नहीं करता है, बल्कि यह ज्ञान के लिए ज्ञान के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "विशुद्ध एवं व्यावहारिक दोनों ही प्रकार के शोध एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे के विकास में सहायक हैं।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विशुद्ध अनुसन्धान और व्यावहारिक अनुसन्धान में भेद कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसन्धान के प्रमुख चरण क्या हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान का अर्थ लिखिए तथा निदानात्मक एवं परीक्षणात्मक अनुसन्धान में अन्तर दर्शाइए।
- प्रश्न- वर्णनात्मक अनुसन्धान को परिभाषित कीजिये। वर्णनात्मक एवं अन्वेषणात्मक अनुसन्धान में अन्तर दर्शाइये।
- प्रश्न- तथ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। तथ्यों के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- तथ्यों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- तथ्य संकलन के प्राथमिक स्रोतों को संक्षेप में बताइए तथा इसके गुण एवं दोषों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक स्रोतों के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राथमिक स्रोतों के दोष बताइए।
- प्रश्न- तथ्य संकलन के द्वितीयक स्रोत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक तथ्यों को द्वितीयक तथ्यों की तुलना में अधिक मौलिक माना जा सकता है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तथ्य की विशेषताएँ एवं प्रकृति बताइये।
- प्रश्न- प्राथमिक एवं द्वितीयक तथ्यों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धानों में तथ्यों के संकलन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन क्या है? इसके प्रकारों एवं प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अवलोकन के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सहभागी अवलोकन से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों एवं दोषों की व्याख्या भी कीजिए।
- प्रश्न- सहभागी अवलोकन के गुण बताइए।
- प्रश्न- सहभागी अवलोकन के दोष अथवा सीमाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असहभागी अवलोकन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष बताइए।
- प्रश्न- असहभागी अवलोकन के गुण बताइए।
- प्रश्न- असहभागी अवलोकन के दोष या सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- सहभागी और असहभागी अवलोकन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नियन्त्रित अवलोकन क्या है?
- प्रश्न- "अनियन्त्रित अवलोकन में हम वास्तविक जीवन से सन्बन्धित परिस्थितियों की सतर्कतापूर्वक जाँच करते रहते हैं, जिनमें यथार्थता के यन्त्रों के प्रयोग अथवा निरीक्षण की घटना की शुद्धता की जाँच का कोई प्रयत्न नहीं किया जाता।" पी. वी. यंग के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नियन्त्रित और अनियन्त्रित अवलोकन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनगणना (Census) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (National Sample Survey) से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- परिमाणीकरण और माप की समस्याएँ क्या हैं?
- प्रश्न- परिमाणीकरण और माप की परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति को परिभाषित कीजिए। इसकी आधारभूत मान्यताएँ एवं विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की आधारभूत मान्यताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन कितने प्रकार का होता है? वैयक्तिक अध्ययन की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के उपकरण एवं प्रविधियों को बताइये।
- प्रश्न- "वैयक्तिक अध्ययन पद्धति स्वयं में बिल्कुल एक वैज्ञानक पद्धति नहीं है बल्कि वैज्ञानिक कार्य-प्रणाली में एक सोपान है।' लुण्डबर्ग के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के दोष अथवा सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- 'वैयक्तिक अध्ययन तथा सांख्यिकीय एवं सर्वेक्षण विधियाँ एक-दूसरे की पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व एवं सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण की सीमाओं को बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण की कठिनाइयों को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्वस्तु विश्लेषण के प्रमुख चरण बताइये।
- प्रश्न- समंकों के संकलन से आप क्या समझते हैं? समंकों के प्रकार एवं समंकों को संकलित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समंक कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- प्राथमिक समंकों को संकलित करने की विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसन्धान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष भी बताइये।
- प्रश्न- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष भी बताइये।
- प्रश्न- स्थानीय स्रोतों से सूचना प्राप्ति से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष बताइये।
- प्रश्न- सूचकों द्वारा अनुसूचियों से आप क्या समझते हैं? उनके गुण व दोष बताइये।
- प्रश्न- प्रगणकों द्वारा अनुसूचियों को भरने से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष बताइये।
- प्रश्न- द्वितीयक समंकों को एकत्र करने की रीति बताइए।
- प्रश्न- द्वितीयक आंकड़ों के प्रयोग में क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
- प्रश्न- प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसन्धान एवं अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान विधि को अपनाते समय किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना आवश्यक है?
- प्रश्न- प्रतिचयन की विभिन्न विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय दैव निदर्शन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्रमबद्ध निदर्शन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- व्यवस्थित निदर्शन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दैव निदर्शन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी में प्रतिदर्शन का क्या महत्व है?
- प्रश्न- निर्दशन को परिभाषित कीजिए। निदर्शन के प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैव निदर्शन क्या है? दैव निदर्शन की विधियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- दैव निदर्शन क्या है?
- प्रश्न- प्रश्नावली को परिभाषित कीजिए तथा इसके उद्देश्य एवं विशेषताओं को भी बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली विधि के गुण अथवा दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली विधि के दोष अथवा सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली की रचना में किन बातों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए?
- प्रश्न- प्रश्नावली की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूची क्या है? इसके उद्देश्य एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूची के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- अनुसूची की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अनुसूची के गुण व दोषों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूची के दोष अथवा सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- अनुसूची और प्रश्नावली में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूची में किस प्रकार के प्रश्न शामिल किये जाने चाहिए और किस प्रकार के नहीं?
- प्रश्न- अनुसूची के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूची के निर्माण में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- साक्षात्कार से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार की विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार की साक्षात्कार की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सूचनादाताओं की संख्या के आधार पर साक्षात्कार कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- संरचना के आधार पर साक्षात्कार कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- अवधि के आधार पर साक्षात्कार कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- आवृत्ति के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सम्पर्क के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार विधि के गुण एवं दोष को बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार विधि के दोष बताइए।
- प्रश्न- 'साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया है।' समझाइये।
- प्रश्न- केन्द्रीय साक्षात्कार की विशेषताओं पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- वर्गीकरण तथा सारणीयन में अन्तर कीजिये। वर्गीकरण के उद्देश्य, नीतियों एवं महत्व का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- समंकों के वर्गीकरण के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- समंकों के वर्गीकरण की विधियों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए - 1. श्रेणी, 2. आवृत्ति, 3. वर्ग सीमायें, 4. वर्ग विस्तार, 5. संचयी आवृत्ति 6. मध्य बिन्दु।
- प्रश्न- वर्गीकरण एवं सारणीयन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तथ्यों के वर्गीकरण हेतु आप किस प्रक्रिया को अपनायेंगे? सारणी बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगे?
- प्रश्न- सारणीयन के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सारणीयन का महत्व एवं लाभ बताइये।
- प्रश्न- सारणीयन के मुख्य भाग कौन-कौन से होते हैं?
- प्रश्न- सारणीयन के नियम तथा सावधानियाँ बताइये।
- प्रश्न- सारणियों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक आदर्श वर्गीकरण की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
- प्रश्न- तालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार एवं उपयोगिता को स्पष्टतः बताइए।
- प्रश्न- तालिका के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- तालिका की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व बताइए। उसके विभिन्न लाभ एवं दोष क्या हैं?
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के लाभ क्या हैं?
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के क्या दोष हैं?
- प्रश्न- बिन्दुरेख बनाते समय किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? कृत्रिम आधार रेखा क्या है? रेखाचित्र के निर्माण में इसकी उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रेखाचित्र के निर्माण में कृत्रिम आधार रेखा की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चित्रमय प्रदर्शन की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- बिन्दुरेखीय चित्र से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण दीजिए।
- प्रश्न- चित्रमय प्रदर्शन से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ एवं सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चित्रमय प्रदर्शन के लाभ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चित्रमय प्रदर्शन की सीमाओं को बताइए।
- प्रश्न- एक विमा या एक विस्तार वाले चित्रों से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- एक विमा या एक विस्तार वाले चित्र कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- द्वि-विमा या दो विस्तार वाले चित्रों से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- द्वि-विमा या दो विस्तार वाले चित्र कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- त्रिविमा चित्र या परिमा चित्र किसे कहते हैं?
- प्रश्न- चित्रलेख किसे कहते हैं?
- प्रश्न- चित्र बनाने के सामान्य नियम क्या हैं?
- प्रश्न- चित्र तथा बिन्दुरेख में अन्तर स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- एक सरल दण्ड चित्र एवं प्रतिशत अन्तर्विक्त दण्ड चित्र में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- एक उत्तम चित्र की रचना में किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना होता है?
- प्रश्न- प्राकृतिक माप श्रेणी कालिक चित्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आवृत्ति आयत चित्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कृत्रिम आधार रेखा क्या है? रेखाचित्र के निर्माण में इसकी उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिवेदन की धारणा एवं महत्व को स्पष्ट करिये। प्रतिवेदन के प्रकार तथा विशेषताएँ भी बताइये।
- प्रश्न- प्रतिवेदन का उद्देश्य व महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्रतिवेदन के प्रकार व क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौखिक एवं लिखित प्रतिवेदन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- औपचारिक एवं अनौपचारिक प्रतिवेदन क्या है? आवधिक या नैत्यिक प्रतिवेदन व विशेष प्रतिवेदन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- अच्छे प्रतिवेदन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- प्रतिवेदन का संगठनात्मक स्वरूप या ढाँचा बताइये।
- प्रश्न- बाजार सर्वेक्षण प्रतिवेदन क्या है? इसे बनाने में ध्यान में रखी जाने वाली बातें बताइये।
- प्रश्न- आप स्मार्ट लुक कॉटन साड़ीज लि. में विक्रय प्रबन्धक है। सूती साड़ियों की बिक्री में गिरावट के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट लिखिए तथा बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ उपयोगी सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- दृश्य साधनों के गुण, दोष व प्रकार बताइये। प्रतिवेदन लिखने में इनका क्या महत्व होता है?
- प्रश्न- तालिकाएँ क्या होती हैं? प्रतिवेदन लेखन में इनका महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्रतिवेदन लेखन में आरेख के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- ग्राफ क्या होते हैं? प्रतिवेदन लेखन में इनका क्या महत्व होता है?
- प्रश्न- औपचारिक रिपोर्ट से क्या अभिप्राय है? एक औपचारिक रिपोर्ट की योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक औपचारिक रिपोर्ट की योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिवेदन तैयार करते समय उठाये जाने वाले कदमों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए (a) औपचारिक प्रतिवेदन, (b) लघु प्रतिवेदन।
- प्रश्न- सांख्यिकी की परिभाषा देते हुये, सांख्यिकी की समाजशास्त्रीय उपयोगिता की विस्तृत विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सांख्यिकी की अवधारणा देते हुये समाजशास्त्र में सांख्यिकी की उपयोगिता का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सांख्यिकी की विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र में सांख्यिकीय श्रेणियों की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सांख्यिकी की सीमाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक ज्ञात कीजिए - 28, 30, 32, 35, 30, 32, 34, 33, 29, 28
- प्रश्न- "माध्य, अपकिरण तथा विषमता की मापें आवृत्ति वितरण के समझने में एक-दूसरे की पूरक हैं।' समझाइए।
- प्रश्न- निम्नांकित सारणी से माध्य, माध्यिका तथा बहुलक ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों से माध्य की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित तथ्यों से मध्यिका ज्ञात कीजिए -
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति से क्या आशय है? केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापने की विभिन्न रीतियाँ क्या हैं? माध्य और माध्यिका के परस्पर गुण-दोषों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- सांख्यिकीय माध्यों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- स्थिति सम्बन्धी सांख्यिकीय माध्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बहुलक या भूयिष्ठक की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- बहुलक के गुण (लाभ) बताइये।
- प्रश्न- बहुलक के दोष बताइये।
- प्रश्न- माध्यिका का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माध्यिका के गुण बताइये।।
- प्रश्न- माध्यिका के दोष बताइये।
- प्रश्न- समान्तर माध्य को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- समान्तर माध्य के गुण बताइये।
- प्रश्न- समान्तर माध्य के दोष बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- बहुलक का वैकल्पिक सूत्र लिखिये। इसका प्रयोग कब करना पड़ता है? समझाइये।